योगी ने आगे कहा कि ऐसा नहीं है कि हल्दीघाटी की लड़ाई एक दिन की थी. वह युद्ध कई वर्षों तक अरावली की पहाड़ियों में लड़ा गया और अंत में अपने सभी दुर्ग और किलों को वापस जीत करके महाराणा प्रताप ने यह साबित कर दिया कि महान अकबर नहीं बल्कि महान महाराणा प्रताप ही हैं, जिन्होंने अपने शौर्य और पराक्रम के बल पर उस कालखण्ड में भी भारत के सम्मान और स्वाभिमान की रक्षा की थी.

स्वार्थ के लिए धर्म व देश से न हो छेड़छाड़
मुख्यमंत्री इस बात पर जोर देते हुए बोले कि जरा सोचिये अगर महाराणा प्रताप ने अकबर की अधीनता स्वीकार कर ली होती तो क्या आज हम मेवाड़ के उस राजवंश को राष्ट्रीय स्वाभिमान के प्रतीक के रूप में इस तरह का सम्मान देते. यह बात आज के परिप्रेक्ष्य में हम सब पर भी लागू होती है.

जब हम अपने तनिक से स्वार्थ के लिये अपने समाज, अपने धर्म, अपनी संस्कृति और अपने राष्ट्र के साथ कभी-कभी इस प्रकार की छेड़छाड़ करने लगते हैं, जिससे अपूरणीय क्षति की सम्भावना बनी रहती है. इस मौके पर अनुसूचित जाति व जनजाति आयोग के अध्यक्ष भी उपस्थित रहे. साथ ही विशिष्ट अतिथि के रूप में राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के कई पदाधिकारी मौजूद थे. योगी ने आरएसएस पत्रिका ‘अवध प्रहरी’ का विशेषांक भी जारी किया गया.