Friday , April 19 2024
राज्य ब्यूरो, रांची। झारखंड में भाजपानीत गठबंधन सरकार के खिलाफ तैयार हो रहा संयुक्त विपक्षी मोर्चा राजनीतिक महत्वाकांक्षा की भेंट चढ़ सकता है। फिलहाल, भूमि अधिग्रहण संशोधन विधेयक के खिलाफ तमाम विपक्षी दलों की लामबंदी में एकजुटता तो नजर आ रही है, लेकिन विपक्षी धड़े के महत्वपूर्ण नेता बाबूलाल मरांडी आपाधापी में नजर नहीं आते। मरांडी अपनी गति से राजनीतिक गठबंधन की गाड़ी पर सवार होना चाहते हैं। यही वजह है कि सोमवार को नेता प्रतिपक्ष हेमंत सोरेन के आवास पर हुई विपक्षी दलों की संयुक्त बैठक से उन्होंने दूरी बनाए रखी। अलबत्ता बैठक में दूसरी कतार के नेता शामिल हुए लेकिन बाबूलाल मरांडी की अनुपस्थिति को लेकर कयास का दौर तेज हुआ। फौरी तौर पर बताया गया कि संताल परगना के दौरे पर रहने की वजह से वे बैठक में शामिल नहीं हुए। भाजपा को इसपर चुटकी लेने का मौका मिल गया है। बकौल भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता प्रतुल शाहदेव, बाबूलाल मरांडी की राजनीतिक जमीन खिसक चुकी है। वे अस्तित्व तलाश रहे हैं। उनकी राजनीतिक लाइन-लेंथ पूरी तरह कंफ्यूज्ड है। दरअसल बाबूलाल मरांडी आगामी विधानसभा और लोकसभा चुनाव को लेकर ज्यादा सतर्क हैं। विपक्षी गठबंधन की पहल झारखंड मुक्ति मोर्चा और कांग्रेस ने मिलकर की है। दोनों दल विधानसभा चुनाव के लिए सीटों को लेकर भी मन बना चुके हैं। झारखंड में मिला विपक्षी एकता को बल, भाजपा के लिए संभलने का एक मौका यह भी पढ़ें इस बंटवारे में झाविमो के हिस्से में काफी कम सीटें आ रही हैं जिससे झारखंड विकास मोर्चा सतर्क है। अंदरूनी तौर पर इसे लेकर खींचतान भी है जो भविष्य में खुलकर सामने आ सकता है। बाबूलाल मरांडी की पार्टी झारखंड विकास मोर्चा ने 2014 में हुए विधानसभा चुनाव में आठ सीटों पर जीत हासिल की थी। हालांकि चुनाव परिणाम के तत्काल बाद छह विधायकों ने भाजपा का दामन थाम लिया था। उसमें से दो विधायकों को भाजपानीत गठबंधन सरकार में मंत्री की कुर्सी मिली। जबकि दो को बोर्ड का अध्यक्ष बनाया गया। आक्रामक हुई भाजपा, विपक्षी गठबंधन को बताया अनैतिक विपक्षी दलों के संयुक्त आंदोलन की घोषणा के बाद भाजपा ने भी अपने तेवर आक्रामक कर लिए हैं। प्रदेश भाजपा प्रवक्ता प्रवीण प्रभाकर ने कहा है कि भूमि अधिग्रहण संशोधन के खिलाफ आदोलन फ्लॉप होने के डर से विपक्ष ने शहीदों के नाम का सहारा लेना शुरू कर दिया है और सिदो-कान्हू के हूल दिवस को भी आदोलन का हिस्सा बना दिया है। इससे झारखंडी जनभावना आहत हुई है। इसके लिए विपक्ष जनता से माफी मागे और इस घोषणा को वापस ले। एक झूठे आदोलन के लिए शहीदों के नाम का राजनीतिक दुरुपयोग शर्मनाक है। विपक्ष धरना दे, जुलूस निकाले। उसपर आपत्ति नहीं है। लेकिन विपक्ष द्वारा शहीदों के नाम का राजनीतिक इस्तेमाल ठीक नहीं है। अधिक दिनों तक नहीं चलेगी विपक्ष की एकता: पासवान यह भी पढ़ें झामुमो आदिवासियों को बनाकर रखना चाहती है सिर्फ वोट बैंक: प्रतुल भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता प्रतुल शाहदेव ने झारखंड मुक्ति मोर्चा पर आरोप लगाया कि वह आदिवासियों और मूलवासियों को सिर्फ वोट बैंक बनाकर रखना चाहती है। वह नहीं चाहती कि इनका विकास हो। उन्हें बरगलाने के लिए झामुमो के नेता हेमंत सोरेन झूठ बोल रहे हैं। झामुमो कहता है कि निजी उपयोग और उद्योगों के लिए भूमि अधिग्रहण होगा जबकि सच्चाई यह है कि सरकारी योजनाओं जैसे स्कूल, कॉलेज, अस्पताल, सड़क, पुल, बिजली सब स्टेशन आदि के लिए जरुरत पड़ने पर जमीन का अधिग्रहण होगा। ग्राम सभा या स्थानीय प्राधिकार के परामर्श के बगैर अधिग्रहण नहीं हो सकेगा। निजी उद्योगों को इसका लाभ नहीं मिलेगा। उनके लिए सामाजिक प्रभाव आकलन का प्रावधान है। जमीन के मालिक को बाजार मूल्य से चार गुना अधिक मुआवजा आठ माह के भीतर मिलेगा। संशोधन से राज्य में पांच नए विश्वविद्यालय, 61 डिग्री कॉलेज, 20 पॉलिटेक्निक, सात इंजीनियरिंग और प्रोफेशनल कॉलेज, एक स्किल यूनिवर्सिटी समेत 100 शिक्षण संस्थानों का तेजी से निर्माण होगा।

झारखंड में विपक्षी एकता पर पूर्व सीएम बाबूलाल मरांडी की टेढ़ी चाल

राज्य ब्यूरो, रांची। झारखंड में भाजपानीत गठबंधन सरकार के खिलाफ तैयार हो रहा संयुक्त विपक्षी मोर्चा राजनीतिक महत्वाकांक्षा की भेंट चढ़ सकता है। फिलहाल, भूमि अधिग्रहण संशोधन विधेयक के खिलाफ तमाम विपक्षी दलों की लामबंदी में एकजुटता तो नजर आ रही है, लेकिन विपक्षी धड़े के महत्वपूर्ण नेता बाबूलाल मरांडी आपाधापी में नजर नहीं आते। मरांडी अपनी गति से राजनीतिक गठबंधन की गाड़ी पर सवार होना चाहते हैं। यही वजह है कि सोमवार को नेता प्रतिपक्ष हेमंत सोरेन के आवास पर हुई विपक्षी दलों की संयुक्त बैठक से उन्होंने दूरी बनाए रखी। अलबत्ता बैठक में दूसरी कतार के नेता शामिल हुए लेकिन बाबूलाल मरांडी की अनुपस्थिति को लेकर कयास का दौर तेज हुआ।राज्य ब्यूरो, रांची। झारखंड में भाजपानीत गठबंधन सरकार के खिलाफ तैयार हो रहा संयुक्त विपक्षी मोर्चा राजनीतिक महत्वाकांक्षा की भेंट चढ़ सकता है। फिलहाल, भूमि अधिग्रहण संशोधन विधेयक के खिलाफ तमाम विपक्षी दलों की लामबंदी में एकजुटता तो नजर आ रही है, लेकिन विपक्षी धड़े के महत्वपूर्ण नेता बाबूलाल मरांडी आपाधापी में नजर नहीं आते। मरांडी अपनी गति से राजनीतिक गठबंधन की गाड़ी पर सवार होना चाहते हैं। यही वजह है कि सोमवार को नेता प्रतिपक्ष हेमंत सोरेन के आवास पर हुई विपक्षी दलों की संयुक्त बैठक से उन्होंने दूरी बनाए रखी। अलबत्ता बैठक में दूसरी कतार के नेता शामिल हुए लेकिन बाबूलाल मरांडी की अनुपस्थिति को लेकर कयास का दौर तेज हुआ।  फौरी तौर पर बताया गया कि संताल परगना के दौरे पर रहने की वजह से वे बैठक में शामिल नहीं हुए। भाजपा को इसपर चुटकी लेने का मौका मिल गया है। बकौल भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता प्रतुल शाहदेव, बाबूलाल मरांडी की राजनीतिक जमीन खिसक चुकी है। वे अस्तित्व तलाश रहे हैं। उनकी राजनीतिक लाइन-लेंथ पूरी तरह कंफ्यूज्ड है। दरअसल बाबूलाल मरांडी आगामी विधानसभा और लोकसभा चुनाव को लेकर ज्यादा सतर्क हैं। विपक्षी गठबंधन की पहल झारखंड मुक्ति मोर्चा और कांग्रेस ने मिलकर की है। दोनों दल विधानसभा चुनाव के लिए सीटों को लेकर भी मन बना चुके हैं।   झारखंड में मिला विपक्षी एकता को बल, भाजपा के लिए संभलने का एक मौका यह भी पढ़ें इस बंटवारे में झाविमो के हिस्से में काफी कम सीटें आ रही हैं जिससे झारखंड विकास मोर्चा सतर्क है। अंदरूनी तौर पर इसे लेकर खींचतान भी है जो भविष्य में खुलकर सामने आ सकता है। बाबूलाल मरांडी की पार्टी झारखंड विकास मोर्चा ने 2014 में हुए विधानसभा चुनाव में आठ सीटों पर जीत हासिल की थी। हालांकि चुनाव परिणाम के तत्काल बाद छह विधायकों ने भाजपा का दामन थाम लिया था। उसमें से दो विधायकों को भाजपानीत गठबंधन सरकार में मंत्री की कुर्सी मिली। जबकि दो को बोर्ड का अध्यक्ष बनाया गया।  आक्रामक हुई भाजपा, विपक्षी गठबंधन को बताया अनैतिक विपक्षी दलों के संयुक्त आंदोलन की घोषणा के बाद भाजपा ने भी अपने तेवर आक्रामक कर लिए हैं। प्रदेश भाजपा प्रवक्ता प्रवीण प्रभाकर ने कहा है कि भूमि अधिग्रहण संशोधन के खिलाफ आदोलन फ्लॉप होने के डर से विपक्ष ने शहीदों के नाम का सहारा लेना शुरू कर दिया है और सिदो-कान्हू के हूल दिवस को भी आदोलन का हिस्सा बना दिया है। इससे झारखंडी जनभावना आहत हुई है। इसके लिए विपक्ष जनता से माफी मागे और इस घोषणा को वापस ले। एक झूठे आदोलन के लिए शहीदों के नाम का राजनीतिक दुरुपयोग शर्मनाक है। विपक्ष धरना दे, जुलूस निकाले। उसपर आपत्ति नहीं है। लेकिन विपक्ष द्वारा शहीदों के नाम का राजनीतिक इस्तेमाल ठीक नहीं है।   अधिक दिनों तक नहीं चलेगी विपक्ष की एकता: पासवान यह भी पढ़ें झामुमो आदिवासियों को बनाकर रखना चाहती है सिर्फ वोट बैंक: प्रतुल भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता प्रतुल शाहदेव ने झारखंड मुक्ति मोर्चा पर आरोप लगाया कि वह आदिवासियों और मूलवासियों को सिर्फ वोट बैंक बनाकर रखना चाहती है। वह नहीं चाहती कि इनका विकास हो। उन्हें बरगलाने के लिए झामुमो के नेता हेमंत सोरेन झूठ बोल रहे हैं। झामुमो कहता है कि निजी उपयोग और उद्योगों के लिए भूमि अधिग्रहण होगा जबकि सच्चाई यह है कि सरकारी योजनाओं जैसे स्कूल, कॉलेज, अस्पताल, सड़क, पुल, बिजली सब स्टेशन आदि के लिए जरुरत पड़ने पर जमीन का अधिग्रहण होगा।  ग्राम सभा या स्थानीय प्राधिकार के परामर्श के बगैर अधिग्रहण नहीं हो सकेगा। निजी उद्योगों को इसका लाभ नहीं मिलेगा। उनके लिए सामाजिक प्रभाव आकलन का प्रावधान है। जमीन के मालिक को बाजार मूल्य से चार गुना अधिक मुआवजा आठ माह के भीतर मिलेगा। संशोधन से राज्य में पांच नए विश्वविद्यालय, 61 डिग्री कॉलेज, 20 पॉलिटेक्निक, सात इंजीनियरिंग और प्रोफेशनल कॉलेज, एक स्किल यूनिवर्सिटी समेत 100 शिक्षण संस्थानों का तेजी से निर्माण होगा।

फौरी तौर पर बताया गया कि संताल परगना के दौरे पर रहने की वजह से वे बैठक में शामिल नहीं हुए। भाजपा को इसपर चुटकी लेने का मौका मिल गया है। बकौल भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता प्रतुल शाहदेव, बाबूलाल मरांडी की राजनीतिक जमीन खिसक चुकी है। वे अस्तित्व तलाश रहे हैं। उनकी राजनीतिक लाइन-लेंथ पूरी तरह कंफ्यूज्ड है। दरअसल बाबूलाल मरांडी आगामी विधानसभा और लोकसभा चुनाव को लेकर ज्यादा सतर्क हैं। विपक्षी गठबंधन की पहल झारखंड मुक्ति मोर्चा और कांग्रेस ने मिलकर की है। दोनों दल विधानसभा चुनाव के लिए सीटों को लेकर भी मन बना चुके हैं।

इस बंटवारे में झाविमो के हिस्से में काफी कम सीटें आ रही हैं जिससे झारखंड विकास मोर्चा सतर्क है। अंदरूनी तौर पर इसे लेकर खींचतान भी है जो भविष्य में खुलकर सामने आ सकता है। बाबूलाल मरांडी की पार्टी झारखंड विकास मोर्चा ने 2014 में हुए विधानसभा चुनाव में आठ सीटों पर जीत हासिल की थी। हालांकि चुनाव परिणाम के तत्काल बाद छह विधायकों ने भाजपा का दामन थाम लिया था। उसमें से दो विधायकों को भाजपानीत गठबंधन सरकार में मंत्री की कुर्सी मिली। जबकि दो को बोर्ड का अध्यक्ष बनाया गया।

आक्रामक हुई भाजपा, विपक्षी गठबंधन को बताया अनैतिक
विपक्षी दलों के संयुक्त आंदोलन की घोषणा के बाद भाजपा ने भी अपने तेवर आक्रामक कर लिए हैं। प्रदेश भाजपा प्रवक्ता प्रवीण प्रभाकर ने कहा है कि भूमि अधिग्रहण संशोधन के खिलाफ आदोलन फ्लॉप होने के डर से विपक्ष ने शहीदों के नाम का सहारा लेना शुरू कर दिया है और सिदो-कान्हू के हूल दिवस को भी आदोलन का हिस्सा बना दिया है। इससे झारखंडी जनभावना आहत हुई है। इसके लिए विपक्ष जनता से माफी मागे और इस घोषणा को वापस ले। एक झूठे आदोलन के लिए शहीदों के नाम का राजनीतिक दुरुपयोग शर्मनाक है। विपक्ष धरना दे, जुलूस निकाले। उसपर आपत्ति नहीं है। लेकिन विपक्ष द्वारा शहीदों के नाम का राजनीतिक इस्तेमाल ठीक नहीं है।

झामुमो आदिवासियों को बनाकर रखना चाहती है सिर्फ वोट बैंक: प्रतुल
भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता प्रतुल शाहदेव ने झारखंड मुक्ति मोर्चा पर आरोप लगाया कि वह आदिवासियों और मूलवासियों को सिर्फ वोट बैंक बनाकर रखना चाहती है। वह नहीं चाहती कि इनका विकास हो। उन्हें बरगलाने के लिए झामुमो के नेता हेमंत सोरेन झूठ बोल रहे हैं। झामुमो कहता है कि निजी उपयोग और उद्योगों के लिए भूमि अधिग्रहण होगा जबकि सच्चाई यह है कि सरकारी योजनाओं जैसे स्कूल, कॉलेज, अस्पताल, सड़क, पुल, बिजली सब स्टेशन आदि के लिए जरुरत पड़ने पर जमीन का अधिग्रहण होगा।

ग्राम सभा या स्थानीय प्राधिकार के परामर्श के बगैर अधिग्रहण नहीं हो सकेगा। निजी उद्योगों को इसका लाभ नहीं मिलेगा। उनके लिए सामाजिक प्रभाव आकलन का प्रावधान है। जमीन के मालिक को बाजार मूल्य से चार गुना अधिक मुआवजा आठ माह के भीतर मिलेगा। संशोधन से राज्य में पांच नए विश्वविद्यालय, 61 डिग्री कॉलेज, 20 पॉलिटेक्निक, सात इंजीनियरिंग और प्रोफेशनल कॉलेज, एक स्किल यूनिवर्सिटी समेत 100 शिक्षण संस्थानों का तेजी से निर्माण होगा।

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