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दिल्ली: मोदी सरकार के खिलाफ विपक्षी एकता को झटका, राहुल के इफ्तार में केजरीवाल को न्योता नहीं

एक तरफ दिल्ली, हरियाणा और पंजाब में आम आदमी पार्टी व कांग्रेस के बीच गठबंधन की चर्चा है, वहीं दूसरी तरफ अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी अध्यक्ष राहुल गांधी की इफ्तार पार्टी में दिल्ली के मुख्यमंत्री एवं आप संयोजक अरविंद केजरीवाल को नहीं बुलाया गया है। दो साल के अंतराल के बाद कांग्रेस बुधवार को पांच सितारा होटल ताज पैलेस में इफ्तार पार्टी दे रही है।

इसमें गठबंधन के कई नेताओं के साथ ही दिल्ली से भी विभिन्न पूर्व सांसदों, पूर्व विधायकों और वरिष्ठ नेताओं को बुलाया गया है लेकिन केजरीवाल को निमंत्रण नहीं भेजा गया है। गौरतलब है कि आम आदमी पार्टी चुनावी वैतरणी पार करने के लिए बीते कुछ समय से लगातार कांग्रेस का साथ चाह रही है। कनार्टक में कांग्रेस और जेडीएस की सरकार बनी तो मुख्यमंत्री कुमार स्वामी के शपथ ग्रहण समारोह में शामिल होने अरविंद केजरीवाल भी पहुंचे।

यह बात अलग है कि उन्हें वहां भी मंच पर सम्मानजनक स्थान नहीं मिला था। कर्नाटक से लौटने के बाद दिल्ली में भी 2019 के लोकसभा चुनावों को लेकर आम आदमी पार्टी और कांग्रेस के गठबंधन की चर्चाएं शुरू हो गईं। हालांकि प्रदेश कांग्रेस ने इसे बार बार नकारा, लेकिन आप के राष्ट्रीय प्रवक्ता दिलीप पांडे और दिल्ली से विधायक अलका लांबा ने ट्वीट कर कांग्रेस से बढ़ती नजदीकियों की चर्चाओं को बल दे दिया।

ऐसे में प्रदेश कांग्रेस के बाद राष्ट्रीय स्तर पर भी केजरीवाल को तव्वजो न दिया जाना बहुत कुछ बयां कर देता है। क जानकारों के मुताबिक आम आदमी पार्टी और कांग्रेस के बीच गठबंधन की संभावना आप का ही छोड़ा गया शिगूफा था, जो अब साफ होता जा रहा है।

वहीं, दिल्ली प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अजय माकन ने कहा कि अरविंद केजरीवाल को इफ्तार पार्टी में बुलाने का कोई औचित्य ही नहीं है। वह न तो हमारे पूर्व सहयोगी हैं और न ही इन्हें भविष्य में सहयोगी बनाए जाने का कोई इरादा है। पहले भी इन्हें हमने कभी रोजा इफ्तार पार्टी में नहीं बुलाया।

यहां पर बता दें कि पिछले दिनों कांग्रेस और आम आदमी पार्टी में गठबंधन की खबरें बड़ी तेजी से उड़ी थीं। जानकारी बताते हैं कि इसमें सच्चाई भी है। कांग्रेस और AAP दोनों को हो दिल्ली में मोदी के खिलाफ मुकाबला करने के लिए एक-दूसरे का साथ चाहिए, लेकिन एक जगह पेंच फंस गया है। 

कहा जा रहा है कि आम आदमी पार्टी और कांग्रेस में गठबंधन की चर्चाएं निराधार हैं, यह कहना शायद सही नहीं होगा। पिछले महीने दिल्ली प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अजय माकन कई बार इसकी संभावना को नकार चुके हैं, लेकिन पार्टी की आंतरिक सर्वे रिपोर्ट से यह संकेत मिलते हैं कि दोनों दलों में पर्दे के पीछे जरूर कोई खिचड़ी पक रही है। इस रिपोर्ट में आंकड़ों को जिस तरह से पेश किया गया है, उससे यही लगता है कि कांग्रेस गठबंधन करना तो चाहती है, लेकिन वह इसमें छोटे साझेदार की भूमिका निभाने को तैयार नहीं है। यानी मामला सीटों को लेकर फंस रहा है।

वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की राह रोकने के लिए देशभर में जुट रहे विपक्षी दलों को देखते हुए दिल्ली में भी इसके प्रयास शुरू कर दिए गए। दिल्ली में आप नेताओं ने गठबंधन की कोशिशों की बात उजागर कर यहां इसे हवा दे दी है। आप नेताओं को लगता है कि कांग्रेस के सहारे वह दिल्ली में अपनी सत्ता बचाने के साथ ही हरियाणा व पंजाब में भी अपना जनाधार बढ़ा सकेंगे।

‘AAP’ की B टीम बनने को तैयार नहीं

कांग्रेस के भी कुछ नेता दिल्ली में अपनी खोई हुई सियासी जमीन को ‘AAP’ के सहारे वापस पाने की रणनीति को सही मान रहे हैं। वह गठबंधन तो चाहते हैं, लेकिन किसी भी सूरत में ‘AAP’ की बी टीम के तौर पर दिल्ली में काम करने को तैयार नहीं हैं। वह दिल्ली की सात में से चार लोकसभा सीटों पर कांग्रेस उम्मीदवार उतारने की वकालत कर रहे हैं। कांग्रेस का आंतरिक सर्वे भी इसी रणनीति का हिस्सा है।

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