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बिल नहीं तो खाना फ्री, रेलवे की इस नई पॉलिसी के बारे में जानिए सबकुछ

बिल नहीं तो खाना फ्री, रेलवे की इस नई पॉलिसी के बारे में जानिए सबकुछ

भारतीय रेलवे ने एक नई पॉलिसी लेकर आया है, जिसका नाम है – नो बिल, फ्री फूड पॉलिसी। रेलवे की इस पॉलिसी का मतलब है कि खाने का बिल नहीं तो पैसा नहीं। यानी यदि आप ट्रेन में सफर कर रहे हैं और आपको फूड वेंडर खाने का बिल नहीं देता है तो खाने का पैसा नहीं लगेगा। यह नई पॉलिसी इंडियन रेलवे द्वारा इस वजह से लाई गई है क्योंकि रेलवे में कई बार खाना खरीदने पर बिल नहीं दिया जाता है।बिल नहीं तो खाना फ्री, रेलवे की इस नई पॉलिसी के बारे में जानिए सबकुछ

गौरतलब है कि बीते कई माह से मुसाफिरों की सुविधाओं को ध्यान में रखते हुए कई योजनओं की शुरुआत की गई है, जिससे रेलवे यात्रियों को सीधे तौर पर इसका फायदा भी मिल रहा है। भारतीय रेलवे ना सिर्फ ट्रेनों की लेटलतीफी की समस्या को खत्म करने पर गंभीरता से विचार कर रही है बल्कि टिकट आरक्षण में आने वाली समस्याओं को सुलझाने का भरपूर प्रयास कर रहा है। इतना ही नहीं, अभी कुछ समय पहले ही रेलवे ने ट्रेनों और स्टेशनों पर मिलने वाले खाने के सामानों के वास्तविक मूल्य की सूची जारी की थी इससे लोगों को ठगी का शिकार होने से बचने का फायदा मिला।

तय दाम से अधिक कीमत वसूलने की आतीं हैं शिकायतें –

रेल यात्रियों की यह भी शिकायत है कि उनसे खाने की तय दाम से अधिक कीमत वसूली जाती है, और इस समस्या से निपटने के लिए हाल ही में रेलवे ने खाद्य सामानों के वास्तविक दामों की सूची जारी की थी। जिससे यात्रियों को वास्तविक दाम से अधिक पैसे ना देने पड़ें। अब रेलवे के इस फैसले से उम्मीद है अब यात्रियों से ट्रेनों में खाने की अधिक कीमत वसूली नहीं जाएगी।

ऐसे लाएगा जाएगा पॉलिसी को अमल में –

नई योजना के मुताबिक, रेलवे ने कहा है कि यात्री अब खाना लेने के बाद इसका बिल मांगें और अगर कोई वेंडर बिल देने से मना करता है तो खाने के पैसे न दें। इस नई पॉलिसी का नोटिस को उन सभी ट्रेनों में लगाएं जाने का विचार किया जा रहा है जिन ट्रेनों में यात्री यात्रा के दौरान खाना खरीदते हैं। यह नई योजना ठीक से काम कर रही है या नहीं इसके लिए रेलवे इंसपेक्टरों को बहाल करेगी जो इस बात की निगरानी करेंगे कि यात्रियों से तय दाम के मुताबिक पैसे लिए जा रहे हैं या नहीं और इसका सही-सही बिल दिया जा रहा है या नहीं दिया जा रहा है।

बीते साल के अप्रैल से अक्टूबर माह में मिली थीं 7000 से अधिक शिकायतें –

मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो रेलवे के अफसरों ने इस पॉलिसी को लाने की मुख्य वजह बताते हुए कहा है कि खाना देने वाले वेंडर यात्रियों को मांगने के बावजूद खाने की बिल नहीं देते हैं। पिछले साल अप्रैल से अक्टूबर के बीच रेलवे को खाने की अधिक कीमत वसूले जाने संबंधी 7000 से अधिक शिकायतें मिली थीं।

रेलमंत्री के निर्देश के बाद उठाया गया यह कदम –

यह कदम रेलमंत्री पीयूष गोयल के उस निर्देश के बाद उठाया गया है जिसमें उन्होंने रेलवे से ऐसे वेंडरों और खाना देने वालों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने के निर्देश दिए थे। रेलमंत्री ने आदेश दिया है कि अगर कोई वेंडर खाने के बॉक्स के ऊपर कीमत को नहीं लिखता है तो उसका लाइसेंस रद कर दिया जाना चाहिए। पिछले साल रेलवे ने दो केटररों के कॉन्ट्रेक्ट को अधिक कीमत वसूलने की शिकायत की वजह से रद कर दिया था। इसके अलावा कई साथ ही कई कैटरर्स पर भारी जुर्माना भी लगाया गया।

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