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माता प्रसाद ने कहा, संविधान में प्रदत्त अधिकार का ही प्रयोग किया

लखनऊ। विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष के पद पर रामगोविंद चौधरी को नियुक्त करने के निर्णय पर राज्यपाल द्वारा सवाल उठाने के संबंध में निवर्तमान अध्यक्ष माता प्रसाद पाण्डेय का कहना है कि उन्होंने संविधान में प्रदत्त अध्यक्ष के अधिकार का प्रयेग किया है।

पाण्डेय ने एक बयान में कहा है कि भारतीय संविधान के अनुच्छेद -179, के खण्ड-क, के अन्तर्गत अंतिम प्रस्तर में यह प्राविधान किया गया है कि जब कभी विधान सभा का विघटन किया जाता है तो विघटन के पश्चात् होने वाले विधान सभा के प्रथम अधिवेशन के ठीक पहले तक अध्यक्ष अपने पद को रिक्त नहीं करेगा।

संविधान की मंशा के अनुसार विधान सभा का अध्यक्ष तब तक अपने प्रशासनिक दायित्वों का निर्वहन कर सकेगा, जब तक कि नये अध्यक्ष का चुनाव न हो जाय। चुनाव सम्पन्न होने के बाद और नये अध्यक्ष के आसान ग्रहण करने के बाद पूर्व अध्यक्ष के अधिकार समाप्त हो जाते है।

उन्होंने कहा कि इन्हीं अधिकारों के अधीन 2007 और 2012 एवं विगत दो दशकों से निवर्तमान अध्यक्ष द्वारा संविधान द्वारा प्रदत्त अधिकारों के अधीन नेता विरोधी दल के लिए पार्टी से प्राप्त प्रस्ताव पर यथाविधि विचार करते हुए नेता विरोधी दल के पद पर तैनाती के लिए निर्देश दिये गये थे।

यह व्यवस्था परम्परागत एवं नियमानुकूल है। पूर्व में प्रचलित परम्पराओं के अनुरूप ही वर्तमान अध्यक्ष जो कि संविधान के अनुच्छेद-179 के अन्तर्गत नये अध्यक्ष के चुनाव होने तक सभी कार्यो को सम्पादित करने के लिए अधिकृत है, के द्वारा यथाविधि नेता विरोधी दल के चयन के बारे में निर्देश दिये गये। यह परम्परा दशकों से प्रचलित है।

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